History
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छठ पूजा--पौराणिक काल की विधि से होनेवाला एकमात्र पर्व हिन्दू धर्म के पांच दिन के दिवाली महापर्व की समाप्ति के बाद छठ्ठ पूजा का त्यौहार आता है। यह त्यौहार सूर्यदेव को समर्पित है। सूर्यदेव पुरे विश्व के लिए ऊर्जा के श्रोत है। इसलिए यह दिन सूर्यदेव की उपासना करते है। इस दिन माँ दुर्गा का छठा स्वरुप छठ्ठी मैया का है। नवरात्रि में माँ के छठे स्वरुप कात्यानी देवी का है। इस दिन छठ्ठी मैया या ने की कात्यानी देवी की पूजा करते हैयह त्यौहार ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में मनाया जाता था। इस प्रदेश के लोग अपनी जीविका कमाने के लिए देश के विभिन्न भाग में गए और कही लोग विदेश भी आजीविका के लिए गए। इन लोगो के साथ ये त्यौहार धीरे धीरे पुरे भारत से होकर विदेश में भी मनाया जाने लगा।विज्ञान के अनुसार, इस छठ्ठ की तिथि को सूर्य के अल्ट्रा वायोलेट किरण पृथ्वी पर सामान्य से ज्यादा मात्रा में आते है। जो हमारे स्वास्थय के लिए बहुत ही हानिकारक होते है। इस किरणों के नुकशान से बचाने के लिए यह महापर्व मनाया जाता है। इसलिए हमें सब व्रतधारी का आभारी होना चाहिए। छठ्ठ पूजा का महा पर्व साल में दो बार आता है। पहला कार्तिक स -
गांधीकी की सरमुख्त्यारशाही और सरदार वल्लभभाई पटेल की दरियादिली सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के लौह पुरुष थे। उनको "आयरन मन ऑफ़ इंडिया" कहा जाता है। क्योकि उनके इरादे मजबूत थे। एक मजबूत ईमारत को खड़ी करने के लिए जो काम लोखंड करता है। वही काम सरदार वल्लभ भाई पटेल ने आज़ादी के बाद, हिंदुस्तान को बनाने के लिए किया। आज़ादी के बाद,सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हिंदुस्तान को एक मजबूत राष्ट्र की पहचान दी। दुनिया में सबसे बड़ी लोकशाही बनाने के लिए और ५६२ रजवाड़े को बिना खून की एक भी बूंद गिराए एक राष्ट्र में मिलाना अपने आप में एक मिशाल है। सरदार वल्लभभाई पटेल का पारिवारिक परिचय नाम वल्लभभाई झवेरभाई पटेलअभ्यास बेरिस्टर (मिडिल टेम्पल इन लंदन ) ३६ साल की आयु में.जन्म स्थल गुजरात राज्य के, खेड़ा जिले के, नडियाद गांव में. जन्म तारीख ३१ अक्टूबर १८७५ (राष्ट्रीय एकता दिवस )पिता का नाम झवेरभाई पटेलमाताका नाम लाडबा झवेरभाई पटेलचार भाइयो के नाम -
चांदी की ईंट से रखी जाएगी अयोध्या में राम मंदिर की नींव, BJP सांसद ने तस्वीर साझा कर कही ये बात... राम मंदिर की नींव चांदी की ईंट से रखी जाएगी. इसकी पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. फैजाबाद के बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने इसे लेकर ट्वीट किया है चांदी की ईंट से रखी जाएगी अयोध्या में राम मंदिर की नींव लंबे इंतजार के बाद आखिरकार राम भक्तों के लिए वो वक्त आने वाला है जब भव्य राम मंदिर बनेगा. जब रामलला भव्य मंदिर में विराजमान होंगे. 5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम होने जा रहा है. इसे लेकर तैयारी जोरों पर है. पीएम मोदी (PM Modi) इस कार्यक्रम में शिरकत करेंगे.राम मंदिर की नींव चांदी की ईंट से रखी जाएगी. इसकी पहली तस्वीर भी सामने आ गई है. फैजाबाद के बीजेपी सांसद लल्लू सिंह ने इसे लेकर ट्वीट किया है. बीजेपी नेता लल्लू सिंह ने चांदी की ईंट की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि यह मेरा सौभाग्य रहेगा कि इस पवित्र ईंट को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा स्थापित किए जाने के समय मुझे प्रांगण में उपस्थित होने का सौभाग्य प्राप्त होगा.बता दें कि चांदी की ईंट का वजन 22 किलो 600 ग्राम है. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो भूमि पूजन के बाद पीएम मोदी चांदी की ईंट से मंदिर निर्माण के लिए -
जब गजनवी ने किया सोमनाथ मंदिर पर हमला , जानिए पुरी कहानी। Article by : Swami DharambandhujiRajkot Gujaratजब औरंगजेब ने मथुरा का श्रीनाथ मंदिर तोड़ा तो मेवाड़ के नरेश राज सिंह 100 मस्जिद तुड़वा दिये थे।अपने पुत्र भीम सिंह को गुजरात भेजा, कहा 'सब मस्जिद तोड़ दो तो भीम सिंह ने 300 मस्जिद तोड़ दी थी'।वीर दुर्गादास राठौड़ ने औरंगजेब की नाक में दम कर दिया था और महाराज अजीत सिंह को राजा बनाकर ही दम लिया।कहा जाता है कि दुर्गादास राठौड़ का भोजन, जल और शयन सब अश्व के पार्श्व पर ही होता था। वहाँ के लोकगीतों में ये गाया जाता है कि यदि दुर्गादास न होते तो राजस्थान में सुन्नत हो जाती।25 घंटे गुजरात (ये काल्पनिक कहानी है।ये कहानी कोई जाति या धर्म को ठेस पोहचने के लिये नही लिखी गई है। इसकी पुष्टि हम नही करते है।)मध्यकाल का दुर्भाग्य बस इतना है कि हिन्दू संगठित होकर एक संघ के अंतर्गत नहीं लड़े, अपितु भिन्न भिन्न स्थानों पर स्थानीय रूप से प्रतिरोध करते रहे।औरंगजेब के समय दक्षिण में शिवाजी, राजस्थान में दुर्गादास, पश्चिम में सिख गुरु गोविंद सिंह और पूर्व में लचित बुरफुकन, बुंदेलखंड में राजा छत्रसाल आदि ने भरपूर प्रतिरोध किया और इनके प्रतिरोध का ही परिणाम था कि औरंगजेब -
दो महीने पहले गिरा हुआ पेड़ फिर से खड़ा हुआ,गांव वालों ने माना चमत्कार मध्य प्रदेश के विदिशा के एक गाँव में दो महीने पहले गिरा एक दशक पुराना पीपल का पेड़ अपने आप उग आया है। गाँव के लोग इसे एक दैवीय चमत्कार मानते हैं। जबकि, विशेषज्ञ वैज्ञानिक तर्क दे रहे हैं। वह कहते हैं कि बारिश में जड़ों के गीला होने से गुरुत्वाकर्षण बल बढ़ जाता है जिससे यह पेड़ बढ़ता है।विदिशा के छपरा गांव में देवी माता मंदिर परिसर में तेज हवाओं के कारण पेड़ गिर गया। अब यह पहले की तरह फिर से हरा है। प्रशासन को सूचना मिलते ही पांच सदस्यीय तकनीकी दल मौके पर पहुंचा। टीम ने इसे एक शारीरिक घटना कहा।पेड़ की शाखाओं को काटने से ट्रंक की जड़ कम हो गई है। पानी भरने के बाद, पेड़ की जड़ें ’जाम प्रवाह प्रक्रिया’ के माध्यम से पेड़ को पानी की आपूर्ति करती हैं। इससे गुरुत्वाकर्षण के नियम का पालन करने से पहले जड़ों को जमीन और पेड़ की ओर खींचा जाता था।घटना के पीछे एक अलग तर्क यह है कि जब दो महीने पहले पेड़ गिर गया था, तो यह 4 फीट ऊंची दीवार पर गिर गया था। इससे 1 फुट की दीवार ढह गई। वर्तमान में पेड़ की ऊंचाई लगभग 11-12 फीट है। पेड़ की जड़ से लेकर दीवार तक की लंबाई लगभग 6-7 फीट हो -
देश का सबसे पहला बुलेट बाइक एम्बुलेंस अहमदाबाद के शाहपुर में रहने वाले एक व्यक्ति ने राजस्थान के व्यापारी की मांग को ध्यान में रखते हुए एक दो-वाहन एम्बुलेंस का निर्माण किया है। राजस्थान के अंदरूनी गांवों में लोगों के इलाज के लिए बुलेट बाइक एम्बुलेंस स्थापित की गई हैं। अहमदाबाद में शाहपुर के रहने वाले एक युवक ने राजस्थान के एक व्यापारी की मांगों को ध्यान में रखते हुए दो-वाहन एम्बुलेंस का निर्माण किया है। राजस्थान के एक व्यापारी ने कहा, "राजस्थान के कुछ दूरदराज के गांवों में एंबुलेंस लोगों को इलाज के लिए नहीं पहुंचा सकती है।" क्योंकि कोई पक्की सड़क नहीं है, एक फोर व्हीलर एम्बुलेंस अंदर नहीं जा सकती। अगर इसके लिए मोटरसाइकिल एम्बुलेंस है तो लोग समय पर इलाज करा सकते हैं। अहमदाबाद के एक युवक ने उसके लिए बुलेट बाइक एम्बुलेंस तैयार की है। शाहपुर के व्यापारी द्वारा बनाई गई बुलेट बाइक एम्बुलेंस बुलेट बाइक एम्बुलेंस में विशेषज्ञता वायु संचार पंखा ऑक्सीजन की बोतल चिकित्सा बॉक्स उपेंद्र चौहान, जो अहमदाबाद के शाहपुर में रहते हैं और एक फुटकर व्यवसाय चलाते हैं, ने बुलेट मोटरसाइकिल के साथ -
अगर राज्यसभा चुनाव होते हैं, तो गांधीनगर नगर निगम की आम सभा क्यों नहीं ?: विपक्ष नेता गांधीनगर शहर में बढ़ते मामलों को लेकर गांधीनगर नगर निगम ने विपक्ष के नेता द्वारा इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक आम बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा है। उन्होंने कहा कि राज्यसभा चुनाव हो सकते हैं। तो गांधीनगर नगर निगम की आम बैठक क्यों नहीं?गुजरात राज्य की राजधानी गांधीनगर शहर और जिला क्षेत्र अन्य जिलों की तुलना में बहुत छोटा है। लेकिन कोरोना वायरस फैलने में गांधीनगर 4 वें नंबर पर है। इस अर्थ में, यह संभव है कि कोरोना वायरस राज्य में बढ़ रहा है। लेकिन बाजारों में खुलेआम घूम रहे लोगों के साथ, निकट भविष्य में गांधीनगर शहर में कोरोना वायरस बढ़ने की संभावना है। शैलेन्द्र सिंह बिहोला, निगम के नेता विपक्ष ने इस तरह के संदेह व्यक्त किए हैं। -
#UNLOCK2 की नई गाइडलाइंस जारी, रात के 10 बजे से सुबह 5 बजे तक कर्फ्यू देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन के बाद अब अनलॉक 2 को 1 जुलाई से लागू किया जाएगा। इस अनलॉक -2 की गाइडलाइन की आज घोषणा की गई है। एक जुलाई से रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक देशव्यापी कर्फ्यू रहेगाअनलॉक -2 गाइडलाइन के महत्वपूर्ण बिंदु अनलॉक-टू में 31 जुलाई तक कंट्रक्शन ज़ोन में लॉकडाउन रहेगा। केवल आवश्यकता के अनुसार संचालन को अनुमति दी जाएगी। 1 जुलाई से रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक देशव्यापी कर्फ्यू रहेगा। आवश्यक सेवाओं के लिए छूट उपलब्ध होगी। सभी स्कूल और कॉलेज 31 जुलाई तक बंद रहेंगे। कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे स्कूल और कॉलेज बंद हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा, मेट्रो रेल, सिनेमा हॉल, जिम, स्विमिंग पूल, मनोरंजन पार्क, थिएटर, बार, ऑडिटोरियम, असेंबली हॉल और किसी भी भीड़भाड़ वाले स्थानों को बंद कर दिया जाएगा। स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थान और कोचिंग संस्थान 31 जुलाई तक बंद रहेंगे। ऑनलाइन और दूरस्थ शिक्षा पहले की तरह ही रहेगी। केंद्र और राज्य सरकारों के प्रशिक्षण संस्थानों को 15 जुलाई, 2020 से शर्तों पर शुरू करने की अनुमति है। सभी सामाजिक, राजनीतिक, -
ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली प्राकृतिक आपदाओं की गंभीरता मानव जाति को लगातार परेशान कर रही है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण होने वाली प्र -
सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में वार्षिक रथयात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा के पुरी में वार -
संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के तहत संरक्षित आठ सौ 20 स्मारकों को खोलने की अनुमति दी संस्कृति मंत्रालय ने भारतीय पुरातत्व - View all