डॉलर इंडेक्स और अमेरिकी नीतियों में बदलाव से सोने की वैश्विक कीमत पर क्या असर होगा
सोने की कीमतों ने एक बार फिर नया रिकॉर्ड बनाया है। मंगलवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 1,214 रुपये की तेजी के साथ 1,06,038 रुपये प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया। यह अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। इस साल की शुरुआत से अब तक सोना 29,476 रुपये प्रति दस ग्राम महंगा हो चुका है, जिससे यह निवेशकों के लिए सबसे आकर्षक एसेट बन गया है। वहीं चांदी भी 1,500 रुपये की उछाल के साथ 1,23,300 रुपये प्रति किलोग्राम बिक रही है। अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों ही कारकों ने इस तेजी में योगदान दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डॉलर इंडेक्स में कमजोरी और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट ने कीमती धातुओं की मांग बढ़ा दी है। अमेरिका में ब्याज दरें स्थिर रहने और आर्थिक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को सुरक्षित निवेश विकल्प तलाशने के लिए प्रेरित किया है। इसका सीधा फायदा सोने और चांदी को मिल रहा है। वहीं मध्य पूर्व और यूरोप में जारी भू राजनैतिक तनाव ने भी निवेशकों को सोने की ओर आकर्षित किया है। सोना पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश माना जाता है और जब भी बाजार या राजनीतिक हालात अस्थिर होते हैं, इसकी कीमत बढ़ जाती है।
घरेलू बाजार में मांग बढ़ने का दूसरा कारण आगामी फेस्टिव और शादी का सीजन है। भारत में सोना न केवल निवेश बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। इस समय जेवरात की खरीद बढ़ जाती है और डिमांड में उछाल देखने को मिलता है। ज्वेलर्स का कहना है कि लगातार बढ़ती कीमतों के बावजूद उपभोक्ताओं की खरीदारी की इच्छा बनी हुई है, हालांकि कुछ ग्राहक हल्के वजन के गहनों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सोने में निवेश करने वालों के लिए ईटीएफ और डिजिटल गोल्ड जैसे विकल्प भी लोकप्रिय हो रहे हैं।
चांदी की कीमतों में भी तेजी आई है क्योंकि उद्योगिक मांग में सुधार देखा जा रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सौर ऊर्जा क्षेत्र में चांदी की खपत बढ़ रही है, जिससे इसकी कीमतों को सहारा मिल रहा है। विश्लेषकों के मुताबिक चांदी का लंबी अवधि का दृष्टिकोण भी सकारात्मक है क्योंकि यह उद्योग और निवेश दोनों जरूरतों को पूरा करती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर मौजूदा परिस्थितियां बनी रहती हैं तो सोना आगे और महंगा हो सकता है। अनुमान है कि निकट भविष्य में इसकी कीमत 1.10 लाख रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकती है। हालांकि अगर अमेरिकी फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बदलाव करता है या डॉलर इंडेक्स मजबूत होता है तो सोने की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ सकती है। फिलहाल निवेशकों और उपभोक्ताओं दोनों की नजरें आने वाले हफ्तों पर टिकी हुई हैं।