शिंजो आबे की करीबी साने ताकाइची जापान की पहली महिला पीएम बनने की कगार पर एलडीपी नेतृत्व चुनाव में दर्ज की बड़ी जीत
जापान में आखिरकार वह ऐतिहासिक क्षण आ गया है जब देश को उसकी पहली महिला प्रधानमंत्री मिलने की पूरी संभावना है। सत्ताधारी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) ने अपने नेतृत्व चुनाव में पूर्व आर्थिक सुरक्षा मंत्री साने ताकाइची को अपना नया प्रमुख चुना है। इस जीत के साथ ही 64 वर्षीय ताकाइची जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनने की कगार पर हैं। वह पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की करीबी मानी जाती हैं और उनकी आर्थिक नीतियों 'आबेनॉमिक्स' की समर्थक हैं। उन्होंने रनऑफ वोट में कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी को हराया, जो पूर्व प्रधानमंत्री जुनइचिरो कोइजुमी के बेटे हैं और जापान के सबसे युवा प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में थे।
ताकाइची को संसद में बहुमत हासिल होने के बाद वह निवर्तमान प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा की जगह लेंगी। संसद में प्रधानमंत्री की पुष्टि के लिए मतदान मध्य अक्टूबर में होने की उम्मीद है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से लगभग लगातार शासन करने वाली एलडीपी में ताकाइची के रूप में पिछले पांच सालों में पांचवीं बार नेतृत्व परिवर्तन हो रहा है, जो पार्टी के भीतर की अस्थिरता को दर्शाता है। ताकाइची एक अल्ट्रा रूढ़िवादी धड़े से आती हैं और अपनी कठोर राष्ट्रवादी नीतियों के लिए जानी जाती हैं। वह यासुकुनी मंदिर के नियमित दौरे और जापान के शांतिवादी संविधान में संभावित संशोधन की वकालत करती रही हैं।
नेतृत्व चुनाव जीतने के बाद ताकाइची ने कहा कि उन्हें देश भर से ऐसी कठोर आवाजें सुनने को मिलीं कि लोग एलडीपी के रुख को नहीं समझ पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी कारण ने उन्हें प्रेरित किया और वह लोगों की चिंताओं को आशा में बदलना चाहती हैं। उनकी नीतियों में आक्रामक आर्थिक प्रोत्साहन शामिल है और उन्होंने ताइवान के साथ घनिष्ठ सुरक्षा सहयोग तथा अमेरिका के साथ निवेश समझौतों की समीक्षा का भी सुझाव दिया है। विश्लेषकों का मानना है कि ताकाइची का चुनाव जापान की राजनीतिक दिशा को दक्षिणपंथी की ओर स्थानांतरित करता है।
जापान जैसे देश के लिए जहां लैंगिक समानता एक बड़ी चुनौती रही है, ताकाइची का प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक कदम है। हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि रूढ़िवादी धड़े से आने वाली ताकाइची की महिला अधिकारों या लैंगिक समानता की नीतियों में कोई विशेष रुचि नहीं है। प्रधानमंत्री बनने पर ताकाइची के सामने वृद्ध होती आबादी भू राजनीतिक उथल पुथल धीमी अर्थव्यवस्था और प्रवासन पर बढ़ती बेचैनी जैसे जटिल मुद्दे होंगे। ताकाइची ने घोषणा की है कि अगर वह चुनी जाती हैं तो वह अपने पूर्ववर्ती की तुलना में अधिक नियमित रूप से विदेशों की यात्रा करेंगी ताकि दुनिया को यह संदेश दिया जा सके कि "जापान वापस आ गया है!"।•