रणबीर कपूर और आर्यन खान की मुश्किलें बढ़ीं: ई-सिगरेट के दृश्य को लेकर NHRC ने केस दर्ज करने का आदेश दिया
बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर और फिल्म निर्माताओं की मुश्किलें बढ़ रही हैं। हाल ही में, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने उनके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला आर्यन खान द्वारा निर्देशित एक वेब-शो की शूटिंग के दौरान फिल्माए गए एक दृश्य से संबंधित है, जिसमें रणबीर कपूर को ई-सिगरेट का उपयोग करते हुए दिखाया गया था। NHRC ने दिल्ली पुलिस को इस मामले की जांच करने और प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का निर्देश दिया है। इस घटना ने सार्वजनिक स्वास्थ्य और कानून के प्रवर्तन को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यह पूरा मामला तब सामने आया जब एक सामाजिक कार्यकर्ता ने NHRC में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया था कि भारत में ई-सिगरेट का उपयोग कानूनी रूप से प्रतिबंधित है और सार्वजनिक स्थानों पर इसका प्रदर्शन अवैध है। शिकायत में यह भी बताया गया कि रणबीर कपूर जैसे लोकप्रिय अभिनेता द्वारा इस तरह के दृश्यों को फिल्माना युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। ई-सिगरेट, जिसे आम तौर पर वेपिंग कहा जाता है, स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और भारत सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।
NHRC ने अपने आदेश में दिल्ली पुलिस कमिश्नर को तत्काल कार्रवाई करने और इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए कहा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि क्या फिल्म निर्माताओं ने इस तरह के दृश्यों की शूटिंग के लिए कोई विशेष अनुमति ली थी। यह आदेश स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी लोकप्रिय क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। इस निर्णय से यह भी साबित होता है कि भारतीय कानून का उल्लंघन करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
आर्यन खान का यह वेब-शो, जिसका नाम अभी घोषित नहीं किया गया है, उनके निर्देशन की पहली कृति है। इस शो की कहानी बॉलीवुड उद्योग पर आधारित है। रणबीर कपूर इस शो में एक कैमियो भूमिका में हैं। इस विवाद से इस शो के भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है।
इस घटना पर बॉलीवुड और दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोगों का मानना है कि यह अभिनेताओं और फिल्म निर्माताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे फिल्मों में कानून का उल्लंघन न करें। जबकि अन्य लोगों का मानना है कि यह कलात्मक स्वतंत्रता पर हमला है। हालांकि, कानून विशेषज्ञों का कहना है कि कलात्मक स्वतंत्रता का उपयोग कानून का उल्लंघन करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।