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स्विगी और जोमैटो की प्रतिस्पर्धा में बढ़ती लागत किस तरह ऑफर और डिस्काउंट रणनीतियों को बदल रही है

ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म जोमैटो ने अपने प्लेटफॉर्म फीस को बढ़ा दिया है। अब कंपनी हर ऑर्डर पर ग्राहकों से 12 रुपये वसूलेगी जबकि पहले यह शुल्क 10 रुपये था। यानी उपभोक्ताओं के लिए यह सीधी 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। यह फैसला फेस्टिव सीजन से ठीक पहले लागू किया गया है, जब देश भर में ऑर्डर्स बढ़ने की संभावना रहती है। कंपनी का कहना है कि यह फीस प्लेटफॉर्म को चलाने, डिलीवरी इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारने और ग्राहक अनुभव बेहतर करने के लिए जरूरी है।


जोमैटो ने इस फीस को पिछले साल जुलाई में लागू किया था, जब शुरुआत में 2 रुपये प्रति ऑर्डर लिया जाता था। इसके बाद यह क्रमशः बढ़कर 3 रुपये, फिर 5 रुपये और फिर 10 रुपये तक पहुंचा। अब 12 रुपये तक की यह बढ़ोतरी दिखाती है कि कंपनी लगातार अपनी सर्विस से जुड़े खर्च को ग्राहकों पर डाल रही है। इसके साथ ही ग्राहकों के सामने डिलीवरी चार्ज, पैकेजिंग फीस और टैक्स जैसे अन्य खर्च भी रहते हैं। ऐसे में एक छोटा ऑर्डर भी पहले के मुकाबले ज्यादा महंगा हो गया है।


कंपनी ने बढ़ती लागत और बढ़ते ऑर्डर्स को इस कदम का कारण बताया है। डिलीवरी नेटवर्क, पार्टनर इंसेंटिव और तकनीकी सुधारों के चलते कंपनी को अतिरिक्त निवेश करना पड़ रहा है। साथ ही फूड डिलीवरी सेक्टर में बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण प्लेटफॉर्म को सेवाओं को आकर्षक बनाए रखना पड़ता है। हालांकि उपभोक्ताओं के लिए लगातार फीस बढ़ना परेशानी का सबब बन सकता है। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पर अपनी नाराजगी भी जताई है और कहा है कि छोटे ऑर्डर्स पर यह चार्ज बोझ बन गया है।


विशेषज्ञों का मानना है कि फेस्टिव सीजन में उपभोक्ता इस अतिरिक्त शुल्क को नजरअंदाज कर सकते हैं क्योंकि इस दौरान खाने पीने के ऑर्डर्स बढ़ जाते हैं। लेकिन लंबी अवधि में यह कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। अगर उपभोक्ताओं को प्लेटफॉर्म फीस और अन्य चार्ज ज्यादा लगने लगे तो वे विकल्प तलाश सकते हैं। भारत में स्विगी जैसे अन्य फूड डिलीवरी ऐप भी मौजूद हैं जो ग्राहकों को ऑफर और छूट देकर अपनी ओर खींचने की कोशिश करते हैं।


इसके बावजूद जोमैटो का कहना है कि कंपनी का ध्यान सेवाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीय डिलीवरी अनुभव पर है। उसका दावा है कि प्लेटफॉर्म फीस से होने वाली आय का इस्तेमाल टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन्स में किया जाएगा। कंपनी उम्मीद कर रही है कि उपभोक्ता बेहतर सेवा के लिए इस छोटे अतिरिक्त खर्च को स्वीकार करेंगे। अब देखना यह होगा कि क्या फेस्टिव सीजन में बढ़ी हुई फीस का असर ऑर्डर्स पर पड़ता है या फिर उपभोक्ता सुविधा के चलते इसे सहज रूप से अपनाते हैं।