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सीजेआई बोले बुलडोजर एक्शन के खिलाफ आदेश देना एक संतोषजनक फैसला था जिसमें मानवीय पहलू जुड़ा था

भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में बुलडोजर से जुड़ी विध्वंस कार्रवाईयों पर अपनी राय व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ आदेश जारी किए थे, जो उनके लिए एक संतोषजनक निर्णय था। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में कानूनी और मानवीय दोनों पहलू जुड़े होते हैं, और कोर्ट का कर्तव्य है कि वह दोनों के बीच संतुलन बनाए।


उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि इन कार्रवाईयों से उन लोगों पर गहरा प्रभाव पड़ता है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनके पास रहने के लिए कोई दूसरा ठिकाना नहीं होता। ऐसे में बिना किसी पूर्व सूचना या सुनवाई का अवसर दिए बिना बुलडोजर चलाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने इसी मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए दिशा निर्देश जारी किए थे। इन निर्देशों में यह सुनिश्चित किया गया है कि किसी भी विध्वंस कार्रवाई से पहले प्रभावित लोगों को पर्याप्त समय और सुनवाई का अवसर दिया जाए।


सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में बुलडोजर से होने वाली कार्रवाईयों के संबंध में एक विस्तृत गाइडलाइन जारी की थी। इस गाइडलाइन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि किसी भी विध्वंस कार्रवाई को मनमाने ढंग से न किया जाए और इसमें कानून की उचित प्रक्रिया का पालन हो। गाइडलाइन के प्रमुख बिंदुओं में यह शामिल था कि:

  1. विध्वंस से पहले प्रभावित लोगों को उचित नोटिस दिया जाए।

  2. लोगों को अपनी बात रखने का मौका दिया जाए और उनकी शिकायतों को सुना जाए।

  3. यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्रवाई केवल वैध और कानूनी कारणों से ही हो।

  4. जिन लोगों का पुनर्वास जरूरी हो, उनके लिए पुनर्वास की व्यवस्था की जाए।

सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह कदम केवल कानूनी दायित्व नहीं था, बल्कि यह समाज के कमजोर वर्गों के प्रति एक मानवीय संवेदना भी थी। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की कार्रवाईयों के पीछे अक्सर राजनीतिक और सामाजिक कारण भी होते हैं, जिससे न्यायपालिका को एक तटस्थ और निष्पक्ष भूमिका निभानी पड़ती है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि कानून का शासन सर्वोच्च रहे और किसी भी व्यक्ति को उसके घर से बेदखल करने से पहले उसे न्याय का उचित अवसर मिले।


यह फैसला दिखाता है कि भारतीय न्यायपालिका न केवल कानून का पालन करती है, बल्कि वह मानवीय मूल्यों और अधिकारों का भी सम्मान करती है। सीजेआई चंद्रचूड़ का यह बयान यह साबित करता है कि न्यायपालिका समाज के सभी वर्गों के लिए एक उम्मीद की किरण है, खासकर उन लोगों के लिए जो समाज के सबसे कमजोर और हाशिए पर हैं।