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महंगाई पर ब्रेक: नॉनवेज थाली भी ६% सस्ती हुई सब्जियों के दाम घटने से खाने पीने की लागत में आई उल्लेखनीय कमी

सब्जियों के दाम घटने से राहत: सितंबर में वेज थाली की कीमत में १०% की बड़ी गिरावट

भारतीय उपभोक्ताओं के लिए सितंबर महीना महंगाई के मोर्चे पर बड़ी राहत लेकर आया है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (CRISIL) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर माह में वेज थाली की औसत कीमत में पिछले महीने की तुलना में १० प्रतिशत की महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज की गई है। यह गिरावट मुख्य रूप से रसोई में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख सब्जियों, खासकर आलू और प्याज, की कीमतों में कमी के कारण हुई है, जिसने आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले बोझ को हल्का किया है।


क्रिसिल की 'रोटी चावल रिपोर्ट' बताती है कि नॉनवेज थाली की कीमत भी सस्ती हुई है, जिसकी कीमत में ६ प्रतिशत की कमी आई है। यह कमी मुख्य रूप से चिकन की कीमतों में आई स्थिरता और सब्जियों की कम लागत के कारण संभव हुई है, क्योंकि नॉनवेज थाली में भी दालों और सब्जियों का एक हिस्सा शामिल होता है। वेज थाली की कीमत में आई १० प्रतिशत की गिरावट इस बात का स्पष्ट संकेत है कि खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) का दबाव कम हो रहा है, जो उपभोक्ताओं और सरकार दोनों के लिए सकारात्मक खबर है।


कीमतों में कमी का सबसे बड़ा कारण आलू और प्याज की आपूर्ति में सुधार और उनके दामों में आई कमी है। पिछले कुछ महीनों में मानसून की अनियमितता और आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं के कारण प्याज और टमाटर जैसी सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही थीं, जिसके कारण थाली की लागत बहुत बढ़ गई थी। सितंबर में नई फसल की आवक शुरू होने और आपूर्ति सामान्य होने से इनके दामों में काफी नरमी आई। रिपोर्ट के मुताबिक, आलू और प्याज की कीमतों में गिरावट वेज थाली की समग्र लागत को कम करने वाला सबसे महत्वपूर्ण कारक रही।


हालांकि, रिपोर्ट यह भी बताती है कि दालों (Pulses) की कीमतें अभी भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं, जिससे पूरी राहत नहीं मिल पाई है। दालें वेज थाली का एक प्रमुख हिस्सा हैं और इनकी ऊंची कीमत थाली की लागत को और अधिक कम होने से रोक रही है। इसके बावजूद, थाली की समग्र लागत में यह कमी दर्शाती है कि आम जनता को दैनिक खाद्य खर्च में काफी राहत मिली है।


यह डेटा इस बात को भी रेखांकित करता है कि भारतीय बाजार में सब्जियों और दालों की आपूर्ति और मूल्य स्थिरता बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। आने वाले त्योहारी सीजन में, यदि दालों और अन्य सब्जियों की कीमतों पर नियंत्रण बना रहता है, तो यह उपभोक्ताओं के लिए निरंतर राहत सुनिश्चित करेगा। यह कमी परिवारों के मासिक बजट को संतुलित करने और क्रय शक्ति (Purchasing Power) को बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी।