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मेक इन इंडिया की बड़ी सफलता हल्का लड़ाकू विमान तेजस अब होगा वायुसेना में शामिल इसकी नौ मिसाइल फिटिंग क्षमता से बढ़ेगी देश की हवाई सुरक्षा

भारतीय वायुसेना के बेड़े में एक ऐतिहासिक कदम के तहत, पूरी तरह से स्वदेशी हल्का लड़ाकू विमान (LCA) तेजस शामिल होने जा रहा है। 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत पहल की यह बड़ी सफलता, देश की रक्षा प्रौद्योगिकी में एक नया मील का पत्थर साबित होगी। यह बहुप्रतीक्षित क्षण आगामी 17 अक्टूबर को आएगा, जब रक्षा मंत्री औपचारिक रूप से इस विमान को वायुसेना को सौंपेंगे और इसकी परिचालन क्षमताओं को हरी झंडी दिखाएंगे। यह कदम न केवल भारत की हवाई सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक रक्षा मानचित्र पर देश की स्वदेशी क्षमता को भी मजबूती से स्थापित करेगा।


एलसीए तेजस को एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। इसे पुराने हो चुके मिग-21 विमानों के बेड़े को बदलने के लिए डिज़ाइन किया गया था, लेकिन इसकी उन्नत क्षमताएं इसे चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की श्रेणी में खड़ा करती हैं। तेजस की सबसे महत्वपूर्ण और युद्धक क्षमता बढ़ाने वाली खूबी इसके पंखों और धड़ के नीचे स्थित नौ हार्डपॉइंट्स (फिटिंग पॉइंट्स) हैं। इन नौ स्थानों पर हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, एंटी शिप मिसाइलें और सटीक निर्देशित बमों सहित लगभग 3,500 किलोग्राम तक के हथियार फिट किए जा सकते हैं। यह इसे हवाई युद्ध और जमीन पर हमला करने दोनों ही अभियानों के लिए एक अत्यंत घातक मशीन बनाता है।


तेजस एक सिंगल इंजन, हल्के वज़न का, मल्टीरोल फाइटर विमान है। इसकी डिज़ाइन को उच्च गतिशीलता (high maneuverability) के लिए ऑप्टिमाइज़ किया गया है, जो इसे डॉगफाइटिंग (dogfighting) में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने की क्षमता देता है। इसमें अत्याधुनिक फ्लाई बाय वायर (Fly by Wire) कंट्रोल सिस्टम, डिजिटल रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट जैसी आधुनिक प्रणालियाँ लगी हैं, जो पायलट को युद्ध के मैदान में बेहतर स्थितिजन्य जागरूकता प्रदान करती हैं। इसका छोटा आकार और उन्नत तकनीक इसे दुश्मन के रडार से बच निकलने में भी मदद करती है।


वायुसेना में तेजस की तैनाती भारतीय रक्षा निर्माण के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह न केवल विदेशी सैन्य हार्डवेयर पर निर्भरता कम करता है, बल्कि यह भी साबित करता है कि भारत जटिल रक्षा प्रणालियों का सफलतापूर्वक डिजाइन और निर्माण करने में सक्षम है। 17 अक्टूबर का दिन भारतीय रक्षा इतिहास में दर्ज हो जाएगा, जब रक्षा मंत्री की उपस्थिति में यह स्वदेशी लड़ाकू विमान विधिवत रूप से देश की सुरक्षा की कमान संभालेगा। यह न केवल भारतीय वायुसेना की परिचालन क्षमता में वृद्धि करेगा, बल्कि भारत को भविष्य में लड़ाकू विमानों का एक प्रमुख निर्यातक बनने के मार्ग पर भी आगे बढ़ाएगा।